Saturday, August 9, 2025

सुभाषितम्(NOBLE THOUGHTS)

 अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।

चत्वारि तस्य बर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम्॥(महर्षि मनुः)

 अर्थ  -    

          प्रतिदिन नियमितरूपसे गुरुजनों को प्रणामक़रनेवाले तथा वयस्कज्ञानीजनों का सेवा करनेवाले व्यक्ति का आयु, विद्या, कीर्ति और शक्ति - इन चारों का वृद्धि होती है।


Monday, August 4, 2025

सुभाषितम् (NOBLE THOUGHTS)

 

श्रुतिर्विभिन्नाः स्मृतयश्च भिन्ना 

नैको मुनिर्यस्य वचः प्रमाणम्।

धर्मस्य तत्त्वं निहितं गुहायां

महाजनो येन गतः स पन्थाः।।
 
अर्थः -
           वेद वाक्य अलग अलग हैं। स्मृतिवाक्य भी भिन्न हैं। कोई भी एक ही मुनि का वचन प्रमाण नहीं होता है। धर्म के तत्त्व अत्यन्त सूक्ष्म है। इसलिए महान् व्यक्तियों के द्वारा प्रदर्शित चिराचरित प्रथा ही उत्कृष्ट मार्ग है। 

Meaning  -

                    There are differences in the sayings of Vedas. The statements of Smriti Shastra are also different. The truth of righteousness is very much subtle or deep. So the classical traditions and customs are the best path which shown by the great persons. 

सुभाषितम्(NOBLE THOUGHTS)

 अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य बर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम्॥(महर्षि मनुः)  अर्थ  -               प्रतिदिन नियमितरूपसे गुरु...