Thursday, June 3, 2021

NCERT SANSKRIT SHEMUSHI CLASS-9 CHAPTER- 4 सूक्तिमौक्तिकम्


हिन्दी अनुवाद -

१) चरित्र का रक्षण यत्नपूर्वक करना चाहिए, धन तो आता और जाता है। क्योंकि धन से सम्पन्न होने वाला व्यक्ति यदि सदाचार से सम्पन्न न हो तो उसका सबकुछ नष्ट हो जाता है॥ ( मनुस्मृतिः )
२. धर्म के तत्व को समझें और उसके गुणों को ग्रहण करेँ व धारण कर लें। जो कुछ अपने अनुकूल न हो, वैैसा व्यवहार दूसरों के प्रति नहीं करनी चाहिए॥ ( विदुरनीतिः )
३. प्रिय वाणी बोलने से सभी प्राणी सन्तुष्ट होते हैं। इसलिए प्रिय वाक्य बोलना चाहिए, प्रिय वाणी बोलने में दरिद्रता क्यों करें॥ ( चाणक्यनीतिः )
४. नदियाँ जैसे स्वयं अपना जल नहीं पीते हैं, पेड़ स्वयं अपना फल नहीं खाते हैं। जल वहन करने वाले बादल खुद से उगाया गया अनाज नहीं खाते, वैसे ही सज्जनों का सम्पत्तियाँ (अथवा जीवन ) परोपकार के लिए होता है॥ ( सुभाषितरत्नभाण्डागारम् )
५. मनुुष्य को सर्वदा गुणों को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करना चाहिए, क्योंकि दरिद्र होते हुए भी गुणयुक्त व्यक्ति ऐश्वर्यशाली से श्रेष्ठ होता है॥ ( मृच्छकटिकम्)
६. दुष्टजनों की मित्रता पहले लम्बी होकर धीरे-धीरे(अथवा क्रमशः) घटती स्वभाव वाली होती है, सज्जन की मित्रता पहले छोटी और बाद में लम्बी होती है। दुष्टों और सज्जनों की मित्रता दिन का पहले भाग की छाया और अपराह्ण छाया की तरह अलग-अलग होती है। ( नीतिशतकम्)
७. हँस जहाँ-कहीं भी जाएँ, पृथ्वी को सुशोभित करने के लिए होते हैं। हानि तो उन सरोवरों की है, जहाँ से हँस अलग होते हैं॥ ( भामिनीविलासः )
८. गुण गुणी जनों में गुण ही होते हैं, वह गुण निर्गुण व्यक्ति को प्राप्त कर के दोष बन जाते हैं। जैसे नदियाँ स्वादयुक्त जल वाली होती हैं, जो समुद्र को प्राप्त करके न पीने योग्य बन जाते हैं॥ ( हितोपदेशः)

अभ्यासः

१. अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत-
(क) यत्नेन किं रक्षेत् वित्तं वृत्तं वा?
उत्तरम्- यत्नेन वृत्तं रक्षेत् न वित्तम्।
(ख) अस्माभिः ( किं न समाचरेत्) कीदृशम् आचरणम् न कर्त्तव्यम्?
उत्तरम्- अस्माभिः आत्मनः प्रतिकूलम् आचरणम् न कर्तव्यम्।
(ग) जन्तवः केन विधिना तुष्यन्ति?
उत्तरम्- जन्तवः प्रियवाक्यप्रदानेन तुष्यन्ति।
(घ) पुरुषैः किमर्थं प्रयत्नः कर्तव्यः?
उत्तरम्- पुरुषैः गुणेष्वेव हि प्रयत्नः कर्तव्यः।
(ङ) सज्जनानां मैत्री कीदृशी भवति?
उत्तरम्- सज्जनानां मैत्री दिनस्य परार्ध छायेव लघ्वी पुरा पश्चात् च वृद्धिमती भवति।
(च) सरोवराणां हानिः कदा भवति?
उत्तरम्- सरोवराणां हानिः तदा भवति यदा हंसैः सह तेषां वियोगः भवति।
(छ) नद्याः जलं कदा अपेयं भवति?
उत्तरम्- नद्याः जलं समुद्रमासाद्य अपेयं भवति।

२. "क" स्तम्भः (विशेषणानि) "ख" स्तम्भः (विशेष्याणि)
क) आस्वाद्यतोयाः - ३) नद्यः
ख) गुणयुक्तः - ४) दरिद्रः
ग) दिनस्य पूर्वार्धभिन्ना - १) खलानां मैत्री
घ) दिनस्य परार्धभिन्ना - २) सज्जनानां मैत्री
४. भिन्नप्रकृतिकं पदम्-
क) सर्वस्वम्
ख) वचने
ग) धनवताम्
घ) परितः

५. प्रश्ननिर्माणं कुरुत-
क) वृत्ततः क्षीणः हतः भवति।
प्रश्नम्- कस्मात् क्षीणः हतः भवति?
ख) धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा अवधार्यताम्।
प्रश्नम्- किं श्रुत्वा अवधार्यताम्?
ग) वृक्षाः फलं न खादन्ति।
प्रश्नम्- के फलं न खादन्ति?
घ) खलानाम् मैत्री आरम्भगुर्वी भवति।
प्रश्नम्- केषां मैत्री आरम्भगुर्वी भवति?

६. वाक्यानि लोट्लकारे परिवर्तयत-
यथा- सः पाठं पठति। - सः पाठं पठतु।
क) नद्यः आस्वाद्यतोयाः सन्ति। - नद्यः आस्वाद्यतोयाः सन्तु।
ख) सः सदैव प्रियवाक्यं वदति। - सः सदैव प्रियवाक्यं वदतु।
ग) त्वं परेषां प्रतिकूलानि न समाचरसि। - त्वं परेषां प्रतिकूलानि न समाचर।
घ) ते वृत्तं यत्नेन संरक्षन्ति। - ते वृत्तं यत्नेन संरक्षन्तु।
ङ) अहं परोपकाराय कार्यं करोमि। - अहं परोपकाराय कार्यं करवाणि।

७. उदाहरणमनुसृत्य कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु उचितां विभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत-
यथा- तेषां मरालैः सह विप्रयोगः भवति। (मराल)
(क) अध्यापकेन सह छात्रः शोधकार्यं करोति। (अध्यापक)
(ख) पित्रा सह पुत्रः आपणं गतवान्। (पितृ)
(ग) किं त्वम् मुनिना सह मन्दिरं गच्छसि? (मुनि)
(घ) बालः मित्रेण सह खेलितुं गच्छति। (मित्र)

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