Saturday, August 9, 2025

सुभाषितम्(NOBLE THOUGHTS)

 अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।

चत्वारि तस्य बर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम्॥(महर्षि मनुः)

 अर्थ  -    

          प्रतिदिन नियमितरूपसे गुरुजनों को प्रणामक़रनेवाले तथा वयस्कज्ञानीजनों का सेवा करनेवाले व्यक्ति का आयु, विद्या, कीर्ति और शक्ति - इन चारों का वृद्धि होती है।


No comments:

Post a Comment

सुभाषितम्(NOBLE THOUGHTS)

 अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य बर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम्॥(महर्षि मनुः)  अर्थ  -               प्रतिदिन नियमितरूपसे गुरु...