प्रभूतं कार्यमल्पं वा यन्नरः कर्तुमिच्छति।
सर्वारम्भेण तत्कार्यं सिंहादेकं प्रचक्षते॥
अर्थात्,
बहुत अथवा अल्प कार्य जो मनुष्य करना चाहता है, सर्वप्रथम उस कार्य को पूरी लगन और हिम्मत के साथ सम्पन्न करे।सिंह का इसी एक महत्त्वपूर्ण गुण मनुष्य को ग्रहण करना चाहिए।
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