Thursday, June 3, 2021

NCERT Sanskrit Shemushi Class - 9 Chapter - 10 वांगमनः प्राणस्वरूपम्


हिन्दी अनुवाद -


          श्वेतकेतुः - मैं श्वेतकेतु आप को नमस्कार करता हूं।
 आरुणिः   - पुत्र! लम्बी आयु जिओ।
 श्वेतकेतुः - कुछ  प्रश्न पुछना चाहता हूं ।
 आरुणिः - पुत्र! आज तुम्हारे लिए पूछने योग्य क्या है?
 श्वेतकेतुः - भगवन्! पुछना चाहता हूँ कि यह मन क्या है? 
आरुणिः - वत्स! खाये हुए अन्न का जो सबसे लघु कण है, वह मन है।
 श्वेतकेतुः - और प्राण कैसा है?
 आरुणिः - पिये हुए जल का जो सबसे छोटा कण वह प्राण है।
 श्वेतकेतुः - भगवन! यह वाणी क्या होता है? 
आरुणिः - खाये हुए अन्न के तेज का जो सबसे छोटा कण है वह वाणी है। सौम्य! मन अन्न से निर्मित है, प्राण जल से निर्मित है, और वाणी अग्नि का परिणामभूत है यह समझने योग्य है।
 श्वेतकेतुः - पुनः मुझे समझाइये।
 आरुणिः - सौम्य! सावधानि से सूनो। मंथन किया हुआ दूध का जो सबसे छोटा कण है, वह ऊपर उठता है। वह घी है।
 श्वेतकेतुः - भगवन्! आप घी की उत्पत्ति का रहस्य व्याख्या कर समझाइये। मैं पुनः सुनना चाहता हूँ। 
आरुणिः - सौम्य! खाये जाते हुए अन्न का जो सबसे लघु कण, वह ऊपर उठता है। वह मन है। समझ आया या नहीं? श्वेतकेतुः - अच्छे से समझ आ गया भगवन्!
 आरुणिः - वत्स! पीये हुए जल का जो सबसे छोटा कण ,वह ऊपर उठता है वह ही प्राण है।
 श्वेतकेतुः - भगवन्! वाणी भी समझाइये।
 आरुणिः - सौम्य! खाये हुए अन्न का सबसे छोटा कण जो ऊपर उठता है वह निश्चय ही वचन/वाणी है। वत्स! व्याख्यान के अन्त में एक वार और तुम्हें समझाने की इच्छा है। अन्न से निर्मित मन है, प्राण जल में परिणत होता है और अग्नि का परिणामभूत वाणी है। और क्या मानव जिस प्रकार अन्नादि ग्रहण करता है उस प्रकार ही उसका मन आदि होते हैं यह मेरे उपदेश का सार है। वत्स! यह सब हृदय में धारण कर रखना।
 श्वेतकेतुः - जैसी आज्ञा भगवन्। आप को प्रणाम। 
आरुणिः - वत्स! दीर्घायु हो। हम दोनों द्वारा पढ़ा गया ज्ञान तेजस्विता से युक्त हो। 
                          
 अभ्यासः

1.   अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत -
       क)  श्वेतकेतुः सर्वप्रथमम् आरुणिं कस्य स्वरूपस्य विषये पृच्छति? 
उत्तरम् - श्वेतकेतुः सर्वप्रथमम् आरुणिः मनसः स्वरूपस्य विषये पृच्छति।
      ख)  आरुणिः प्राणस्वरूपं कथं निरूपयति? 
उत्तरम् - पीतानां अपां यः अणिष्ठः स प्राणः इति आरुणिः प्राणस्वरूपं निरूपयति। 
       ग)  मानवानां चेतांसि कीदृशानि भवन्ति?
उत्तरम् - मानवानां चेतांसि अन्नमयानि भवन्ति।
       घ) सर्पिः किं भवति? 
उत्तरम्- मथ्यमानस्य दध्नः योऽणिमा ऊर्ध्वः समुदीषति, तत् सर्पिः भवति। 
        ङ)  आरुणेः मतानुसारं मनः कीदृशं भवति? 
उत्तरम् - आरुणेः मतानुसारं मनः अन्नमयं भवति। 
2. ( क)  'अ ' स्तम्भस्य पदानि 'ब ' स्तम्भेन दत्तैः पदैः सह यथायोग्यम् योजयत -
                 'अ'                ' ब ' 
                 मनः            अन्नमयम्
                 प्राणः           आपोमयः 
                वाक्             तेजोमयी 
(ख )  अधोलिखितानां पदानां विलोमपदं पाठात् चित्वा लिखत - 
       1.  गरिष्ठः -    अणिष्ठः 
       2.  अधः  -     ऊर्ध्वः 
       3.  एकवारम्  -  भूयः 
       4.  अनवधीतम्  -  अवधीतम् 
      5.   किञ्चित्    -  सर्वम्
3. उदाहरणमनुसृत्य निम्नलिखितेषु क्रियापदेषु ' तुमन्' प्रत्ययं योजयित्वा पदनिर्माणं कुरुत -
     यथा - प्रच्छ् + तुमुन्  = प्रष्टुम् 
     क) श्रु + तुमुन् = श्रोतुम्
     ख) वन्द् + तुमुन् = वन्दितुम् 
     ग) पठ् + तुमुन् = पठितुम् 
     घ) कृ + तुमुन् = कर्तुम् 
     ङ) वि + ज्ञा + तुमुन् = विज्ञातुम्
     च) वि + आ + ख्या + तुमुन् = व्याख्यातुम् 
4.   निर्देशानुसारं रिक्तस्थानानि पूरयत -
     क)  अहं किञ्चित् प्रष्टुम्  इच्छामि।
     ख) मनः अन्नमयं भवति। 
     ग) सावधानं श्रृणु। 
     घ) तेजस्विनावधीतम् अस्तु।
     ङ) श्वेतकेतुः आरुणेः शिष्यः आसीत्। 
5.    उदाहरणमनुसृत्य  वाक्यानि रचयत -
         यथा - अहं स्वदेशं सेवितुं इच्छामि। 
        क)  अहं पुत्रं उपदिशामि। 
        ख)  अहं मातरं प्रणमामि ।
           ग) अहं छात्रं आज्ञापयामि। 
         घ) अहं पितरं प्रश्नं पृच्छामि। 
        ङ ) अहं पितुः संकेतं अवगच्छामि। 
6.  ( क) सन्धिं कुरुत -
         १) अशितस्य  + अन्नस्य = अशितस्यान्नस्य
         २) इति + अपि + अवधार्यम् = इत्यप्यवधार्यम् 
         ३) का + इयम् = केयम्
         ४) नौ + अधीतम् = नावधीतम्
         ५) भवति + इति = भवतीति
      (ख)  स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत -
          १) मथ्यमानस्य दध्नः अणिमा ऊर्ध्वं समुदीषति।
प्रश्नम् -  कस्य अणिमा ऊर्ध्वं समुदीषति?
     २) भवता घृतोत्पत्तिरहस्यं व्याख्यातम्। 
प्रश्नम् - केन घृतोत्पत्तिरहस्यं व्याख्यातम्? 
     ३) आरुणिं उपगम्य श्वेतकेतुः अभिवादयति। 
प्रश्नम् - आरुणिं उपगम्य कः अभिवादयति? 
     ४) श्वेतकेतुः वाग्विषये पृच्छति। 
प्रश्नम्- श्वेतकेतुः कस्मिन्विषये/किं पृच्छति ?

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