Thursday, June 6, 2024

अन्ताक्षरी (ANTAKSHARI part - I ) PRAYERS


  

                गजानन नमस्तुभ्यं प्रारभते अन्ताक्षरी -


*   वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटी समप्रभो

      निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

*   दुर्गात् सन्त्रायते यस्मात् देवी दुर्गेति कथ्यते।

     प्रपद्ये शरणं देवीं दुं दुर्गे दुरितं हर॥

*   रक्तज्वाल जटाधरं सुविमलं रक्ताङ्गतेजोमयं

   धृत्वा शूल कपाल पाश डमरून् लोकस्य रक्षाकरन्।

    निर्वाणं शुनवाहनं त्रिनयनं सानन्दकोलाहलम्

   वन्दे भूतपिशाचनाथवटुकं क्षेत्रस्य पालं शिवम्॥

*  व्रम्हमुरारी सुरार्चित लिङ्गम् 

निर्मल भाषित शोभित लिङ्गम्। 

कामज दुःखविनाशन लिङ्गम्

तत् प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम्॥

*  गुरवे सर्वलोकानां भिषजे भवरोगीणाम्।

निधये सर्वविद्यानां दक्षिणामूर्तये नमः॥

*   मूषिकवाहन मोदकहस्त चामरकर्ण विलम्वितसूत्र।

    वामनरूप महेश्वरपुत्र विघ्नविनायकपाद नमस्ते॥

*   त्वदंघ्रि मूल ये नराः भजन्ति हीनमत्सराः।

   पतन्ति नो भवार्णवे वितर्क वीचि सङ्कुले॥(श्रीराम स्तुति )

*   ललाट चत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा

  निपीतपञ्चसायकं नमनिलिम्पनायकम्।

  सुधामयुखलेखया विराजमानशेखरः

  महाकपालिसम्पदे शिरोजटालमस्तुुनः॥

*   नन्दीश्वर नमस्तुभ्यं शान्तानन्दप्रदायक।

  महादेवेश सेवार्थं अनुज्ञां दातुमर्हसि॥ 

*  सशङ्खचक्रं सकिरीटकुण्डलं

   सपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणम्।

   सहार वक्षस्थल कौस्तुभ श्रियं

   नमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजम्॥

*   जपाकुसुम सङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।

   तमोऽरिं सर्वपापघ्नं  प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्॥

*  रक्ष त्वं देवदेवेशि देवदेवस्य वल्लभे।

दारिद्र्यात् त्राहि मां लक्ष्मि कृपां कुरु ममोपरि॥

    

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