१. एक राजहंस के द्वारा तालाब का जो शोभा होता है। (तालाब के) चारों ओर किनारे पर रहनेवाले हजारों बक के द्वारा वो शोभा नहीं होता है॥
२. जहाँ आपके द्वारा कमलनाल का समूह खाया गया, जल भलीभाँति पीये गये, कमलों को सेवन किये गये। रे राजहंस! उस सरोवर का कौनसे कार्य से अनुग्रह प्राप्त होगा, कहो॥
३. हे माली! ग्रीष्मकाल में सूर्य के अत्यधिक तपने पर थोडे पानी से भी आपके करुणा से इस वृक्ष का जो पोषण हुआ है, विश्वभर में वर्षाकालिक जलों के धाराप्रवाह को बरसाते हुए भी बादल के द्वारा यहाँ वो पोषण (उत्पन्न करने के लिए) सम्भव हो पाया क्या॥
४. पक्षी चारों ओर आकाश-मार्ग को प्राप्त कर लिए, भँवरे आम की मञ्जरियों को आश्रय करते हैं। हे सरोवर! तुम्हारे सङ्कुचित होने पर, हा! संतप्त मछली किन्तु कब तक गति को प्राप्त करें॥
५. एक ही स्वाभिमानी चातक पक्षी अरण्य में रहता है। प्यासा मर जाता है अथवा जल के लिए इन्द्रदेव को प्रार्थना करता है।
६. सूर्य की गर्मी से तपे हुए पर्वतसमूह को तृप्त कर उन्नत काष्ठों से रहित वन और अनेक नदी और सैकडों नदों को भरकर हे बादल! जब शून्य होते हो , वो ही तुम्हारा उत्तम(श्रेष्ठ) वैभव है॥
७. रे रे मित्र चातक! ध्यान से पल भर के लिए सुनो, आकाश में वहुत बादल हैं, सभी ऐसे नहीं हैं। कुछ पृथ्वी को जलवर्षा से भिगो देते हैं, कुछ वृथा (वेकार में) गर्जना करते हैं, (तुम) जिस जिस को देखते हो उस उसके सामने दारिद्र्य वचन मत कहो।
अभ्यासः
१. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत -
क) सरसः शोभा राजहंसेन भवति।
ख) चातकः बहूनि सरांसि स्थितं जलं त्यक्त्वा पिपासितः म्रियते वा पुरन्दरं याचते - एतदर्थं मानी कथ्यते।
ग) मीनः सरसः सङ्कोचनेन दीनां गतिं प्राप्नोति।
घ) नानानदीनदशतानि पूरयित्वा जलदः रिक्तः भवति।
ङ) वृष्टिभिः वसुधां अम्भोदाः आर्द्रयन्ति।
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