अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्
अमृतं भोजनार्धे तु भुक्तस्योपरि तद् विषम्।अर्थात्,
Hindi translation of Sanskrit textbooks available for Grades 9, 10, 11, and 12. Hub for jokes, essays, and miscellaneous articles written in Sanskrit.
अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्
अमृतं भोजनार्धे तु भुक्तस्योपरि तद् विषम्।
भ्राता पृच्छति राधिकाम्। कथय भगिनी, -
हस्ती कथं वृक्षात् अधः आगच्छति ?
राधिका वदति -
पत्रस्योपरि उपविशत्येषा शरदृतवे च अपेक्षते।
Translation - Brother asks Radhika. Tell sister, -
How does an elephant get down from a tree?
Radhika Tells -
It sits on a leaf and waits for autumn.
Source: 101 NUTTY JOKES
अतीव बलहीनं ही लंघनं नैवकारयेत्।
ये गुणा लंघने प्रोक्तास्तेगुणा लघुभोजने॥
अर्थात् -
अत्यधिक दुर्बल व्यक्ति को निश्चय ही उपवास नहीं करनी चाहिए । क्योंकि निराहार (उपवास ) में जो गुण कहागया है, स्वल्प भोजन में वो गुण मिलते हैं॥ (अर्थात निराहार से व्यक्ति का वजन घटता है। इसलिए अत्यधिक बलहीन व्यक्ति को लघुभोजन करना चाहिए ,उपवास नहीं ॥)
Meaning -
The person who are too weak should not keep fasting. Because the qualities being told about fasting are found in small meals.
दूरे भीरुत्वमासन्ने शूरता महतोगुणः।
विपत्तौ हि महांल्लोके धीरत्वमधिगच्छति॥
अर्थात् -
कोई भी विपत्ति आने की सम्भावना से लोगों के मन में भय रहता है। किन्तु विपत्ति का सम्मुखीन होते ही धैर्य अवलम्वनपूर्वक विक्रम(साहस) प्रदर्शन करना महान् लोगों का गुण है॥
Meaning -
Men become afraid of seeing any upcoming trouble; but it is the quality of wise people as they face the trouble, they show their power patiently.
(प्रथम दृश्य)
(मिठाई बनाते हुए मल्लिका धीमी स्वर में भगवान शिव की प्रार्थना करति है)
(उसके बाद मिठाई के सुगन्ध को महसुस कर प्रसन्न चित्त वाले चन्दन प्रवेश करता है।)
चन्दनः - आहा! सुगन्ध तो मनमोहक है (देखकर) अरे मिठाइयाँ बनरहे हैं? (प्रसन्न होकर) चखता हूँ। (मोदक लेना चाहता है)
मल्लिका - (क्रोध सहित) रुको। रुको। इन मिठाइयों को मत छुओ।
चन्दनः - गुस्सा क्यों कर रहे हो! तुम्हारे हाथ के बने हुए मिठाइयों को देखकर मैं जीभ का लालच को नियन्त्रण करने में असमर्थ हूँँ, क्या यह तुम नहीँ जानते हो?
मल्लिका- प्रिये! अच्छी तरह मालूम है। परन्तु ये सभी मोदकें पूजा के लिए हैं।
चन्दनः - तो फिर, शीघ्र ही पूजा सम्पन्न करो। और प्रसाद दो।
मल्लिका - भो! पूजा यहाँ नहीं होगी। मैं अपनी सहेलियों के साथ कल सुबह काशीविश्वनाथ मन्दिर जाउँगी, वहाँ हम गङ्गास्नान और धर्मयात्रा करेंगे।
चन्दनः - सहेलियों के साथ! मेरे साथ नहीं! (विषाद का नाटक करता है)
मल्लिका - हाँ। चम्पा, गौरी, माया, मोहिनी, कपिला आदि सब जा रहे हैं। इसलिए, मेरे साथ तुम्हारा आगमन तर्कसंगत नहीं है। हम सप्ताह के अन्त में लौट आएँगे। तबतक गृह-व्यवस्था और गाय का दुग्धदोहनव्यवस्था सम्भाल लेना।
द्वितीयं दृश्यम्
चन्दनः -- ठीक है। जाओ। और सहेलियों के साथ धर्मयात्रा से आनन्दित हो। मैं भी सब सँभाल लूंगा। तुम सब का मार्ग मंगलमय हो।
चन्दनः -- मल्लिका तो धर्मयात्रा के लिए चलिगई । ठीक है। दुग्धदोहन कर के अपने नाश्ते का प्रबंध करूँगा। (स्त्रीबेश धारण कर, दूग्धपात्र हाथ में लेकर नन्दिनी के समीप जाता है। )
उमा -- मामी! मामी!
चन्दनः -- हे उमा! मैं मामा हूँ। तुम्हारे मामी तो गंगास्नान के लिए काशी गई है। बताओ! तुम्हारा क्या अच्छा कर सकता हूँ?
उमा -- मामा! दादाजी बताए हैं, एक महीने के बाद हमारे घर में महोत्सव होगा। उसमें तीन सौ लीटर दूध आवश्यक होगा। यह व्यवस्था आपको करना है।
चन्दनः -- (प्रसन्नचित्त के साथ ) तीन सौ लीटर दूध। अच्छा है। दूध का व्यवस्था हो जाएगा - यह तुम दादाजी को बतादो।
उमा -- धन्यवाद मामा! अब जा रही हूँ। (वो चली गई )
तृतीय दृश्य
चन्दनः -- (प्रसन्न होकर, उङ्गलियों में गिनकर) अरे! तीन सौ लीटर दूध! इस से तो बहुत धन मिलेगा । (नन्दिनी को देख कर ) हे नन्दिनि! तुम्हारी कृपा से तो मैं धनी बन जाऊँगा। (खुश हो कर वो गाय का बहुत सेवा करता है )
चन्दनः -- (सोचता है ) महीने के अन्त में ही दूध का आवश्यकता है। यदि प्रत्यह दूध दोहन करता हूँ तो दूध सुरक्षित नहीं रहता है। अभी क्या कर सकता हूँ ? ठीक है कि महीने के अन्त में ही पूर्णरूपसे दूध दोहता हूँ।
(इसी क्रम से सात दिन बित जाता है। सप्ताह के अंत में मल्लिका लौट आती है)
मल्लिका -- (प्रवेश कर) स्वामि! मैं लौट आई। प्रसाद सेवन करो। ( चन्दन मोदक खाता है और कहता है)
चन्दनः -- मल्लिका! तुम्हारी यात्रा अच्छी तरह सफल हुआ? काशीविश्वनाथ के कृपा से तुम्हें अच्छी बात सुनाता हूँ।
अभ्यासः
ReplyForward Add reaction |
सञ्जय उवाच ।
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा ।
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत् ॥ 2 ॥
युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान् ।
सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः ॥ 6 ॥
yudhāmanyuścha vikrānta uttamaujāścha vīryavān ।
saubhadrō draupadēyāścha sarva ēva mahārathāḥ ॥ 6 ॥
Meaning - Valiant Yudhamanyu, very powerful (/mighty) Uttamouja, sons of Subhadra and Draupadi — all of them also great warriors.(6)
अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम ।
नायका मम सैन्यस्य सञ्ज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते ॥ 7 ॥
asmākaṃ tu viśiṣṭā yē tānnibōdha dvijōttama ।
nāyakā mama sainyasya sañjñārthaṃ tānbravīmi tē ॥ 7 ॥
Meaning - O the great priest! For your kind information/knowledge I am telling you about the commander (/general/leader) who are excellent (/proficient/skilled) in guiding (/leading) my army.(7)
भवान्भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः ।
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च ॥ 8 ॥
bhavānbhīṣmaścha karṇaścha kṛpaścha samitiñjayaḥ ।
aśvatthāmā vikarṇaścha saumadattistathaiva cha ॥ 8 ॥
Meaning - There are You ( Guru Dronacharya), grandfather Bhisma, Karna, Kripacharya, Ashvatthama, Vikarna and also Bhurishrava (the son of Somadatta) etc. who always victorious in battle.(8)
अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः ।
नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः ॥ 9 ॥
anyē cha bahavaḥ śūrā madarthē tyaktajīvitāḥ ।
nānāśastrapraharaṇāḥ sarvē yuddhaviśāradāḥ ॥ 9 ॥
Meaning - Like them there are also other many warriors who ready to abandon life(/willing to run any risk) for me. All are possessing with different weapons and proficient in war. (9)
अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम् ।
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम् ॥ 10 ॥
aparyāptaṃ tadasmākaṃ balaṃ bhīṣmābhirakṣitam ।
paryāptaṃ tvidamētēṣāṃ balaṃ bhīmābhirakṣitam ॥ 10 ॥
10. Our strength ( power/ might/ vigour) is unlimited and we are completely protected by grandfather Bheesma. But the strength of Pandavas is limited even it is well-protected by Bheema.
अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः ।
भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि॥ 11 ॥
ayanēṣu cha sarvēṣu yathābhāgamavasthitāḥ ।
bhīṣmamēvābhirakṣantu bhavantaḥ sarva ēva hi ॥ 11 ॥
All of you, from all the entrances to the arrays of troops each in his respective place should definitely help or give protection to Grandfather Bheesma.
तस्य सञ्जनयन्हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः ।
सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खं दध्मौ प्रतापवान् ॥
tasya sañjanayanharṣaṃ kuruvṛddhaḥ pitāmahaḥ ।
ततः शङ्खाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखाः ।
सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत् ॥ 13 ॥
tataḥ śaṅkhāścha bhēryaścha paṇavānakagōmukhāḥ ।
sahasaivābhyahanyanta sa śabdastumulō'bhavat ॥ 13 ॥
ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ ।
माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शङ्खौ प्रदघ्मतुः ॥ 14 ॥
tataḥ śvētairhayairyuktē mahati syandanē sthitau । mādhavaḥ pāṇḍavaśchaiva divyau śaṅkhau pradaghmatuḥ ॥ 14 ॥
14. Then (from otherside), Lord Krishna and Arjuna sounded their respective divine conch, being on the huge chariot attached with white horses.
पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनञ्जयः ।
पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदरः ॥ 15 ॥
pāñchajanyaṃ hṛṣīkēśō dēvadattaṃ dhanañjayaḥ ।
pauṇḍraṃ dadhmau mahāśaṅkhaṃ bhīmakarmā vṛkōdaraḥ ॥ 15 ॥
15. Lord Krishna sounded 'Panchjanya', His own conch. Arjun sounded his conch 'Devadatta'. Bheema, the wolf-bellied(devouring/craving food in great quantities) and of terrific prowess, sounded his frightening/fearful conch 'Poundra'.
अनन्तविजयं राजा कुन्तीपुत्रो युधिष्ठिरः ।
नकुलः सहदेवश्च सुघोषमणिपुष्पकौ ॥ 16 ॥
anantavijayaṃ rājā kuntīputrō yudhiṣṭhiraḥ ।
nakulaḥ sahadēvaścha sughōṣamaṇipuṣpakau ॥ 16
वृन्ताकं कोमलं पथ्यं
कुष्माण्डं कोमलं विषम्
आर्द्रकं च सदा पथ्यं
अपथ्यं वदरी फलम्॥
अर्थः - कोमल बैंगन भोजन योग्य है, किन्तु अविकसित पेठा (राख लौकी) विष है। अदरक सर्वदा खाने योग्य है परंतु बेर अपथ्य है (सर्बदा खाने योग्य नहीं है)॥
Meaning -
Young brinjal is eatable,but under developed ash gourd is poison for food. Ginger is always eatable whereas it is not good to take jujube every time
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य बर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम्॥(महर्षि मनुः) अर्थ - प्रतिदिन नियमितरूपसे गुरु...