१. शूकः - तोता (A Parrot)
२. चित्रकंठः - कबुतर (A Pigeon)
३. चित्रपिच्छकः - मोर (A Peacock)
४. चित्रपादा, चित्राक्षी - मैना (A Sarika)
५. चित्रपृष्ठः - गौरेया (A Sparrow)
६. बकः - वक (Indian Crane)
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१. शूकः - तोता (A Parrot)
२. चित्रकंठः - कबुतर (A Pigeon)
३. चित्रपिच्छकः - मोर (A Peacock)
४. चित्रपादा, चित्राक्षी - मैना (A Sarika)
५. चित्रपृष्ठः - गौरेया (A Sparrow)
६. बकः - वक (Indian Crane)
विपत्तौ किं विषादेन संपत्तौ हर्षणेन किं
भवितव्यं भवत्येव कर्मणो गहना गतिः।अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्
अमृतं भोजनार्धे तु भुक्तस्योपरि तद् विषम्।
भ्राता पृच्छति राधिकाम्। कथय भगिनी, -
हस्ती कथं वृक्षात् अधः आगच्छति ?
राधिका वदति -
पत्रस्योपरि उपविशत्येषा शरदृतवे च अपेक्षते।
Translation - Brother asks Radhika. Tell sister, -
How does an elephant get down from a tree?
Radhika Tells -
It sits on a leaf and waits for autumn.
Source: 101 NUTTY JOKES
अतीव बलहीनं ही लंघनं नैवकारयेत्।
ये गुणा लंघने प्रोक्तास्तेगुणा लघुभोजने॥
अर्थात् -
अत्यधिक दुर्बल व्यक्ति को निश्चय ही उपवास नहीं करनी चाहिए । क्योंकि निराहार (उपवास ) में जो गुण कहागया है, स्वल्प भोजन में वो गुण मिलते हैं॥ (अर्थात निराहार से व्यक्ति का वजन घटता है। इसलिए अत्यधिक बलहीन व्यक्ति को लघुभोजन करना चाहिए ,उपवास नहीं ॥)
Meaning -
The person who are too weak should not keep fasting. Because the qualities being told about fasting are found in small meals.
दूरे भीरुत्वमासन्ने शूरता महतोगुणः।
विपत्तौ हि महांल्लोके धीरत्वमधिगच्छति॥
अर्थात् -
कोई भी विपत्ति आने की सम्भावना से लोगों के मन में भय रहता है। किन्तु विपत्ति का सम्मुखीन होते ही धैर्य अवलम्वनपूर्वक विक्रम(साहस) प्रदर्शन करना महान् लोगों का गुण है॥
Meaning -
Men become afraid of seeing any upcoming trouble; but it is the quality of wise people as they face the trouble, they show their power patiently.
(प्रथम दृश्य)
(मिठाई बनाते हुए मल्लिका धीमी स्वर में भगवान शिव की प्रार्थना करति है)
(उसके बाद मिठाई के सुगन्ध को महसुस कर प्रसन्न चित्त वाले चन्दन प्रवेश करता है।)
चन्दनः - आहा! सुगन्ध तो मनमोहक है (देखकर) अरे मिठाइयाँ बनरहे हैं? (प्रसन्न होकर) चखता हूँ। (मोदक लेना चाहता है)
मल्लिका - (क्रोध सहित) रुको। रुको। इन मिठाइयों को मत छुओ।
चन्दनः - गुस्सा क्यों कर रहे हो! तुम्हारे हाथ के बने हुए मिठाइयों को देखकर मैं जीभ का लालच को नियन्त्रण करने में असमर्थ हूँँ, क्या यह तुम नहीँ जानते हो?
मल्लिका- प्रिये! अच्छी तरह मालूम है। परन्तु ये सभी मोदकें पूजा के लिए हैं।
चन्दनः - तो फिर, शीघ्र ही पूजा सम्पन्न करो। और प्रसाद दो।
मल्लिका - भो! पूजा यहाँ नहीं होगी। मैं अपनी सहेलियों के साथ कल सुबह काशीविश्वनाथ मन्दिर जाउँगी, वहाँ हम गङ्गास्नान और धर्मयात्रा करेंगे।
चन्दनः - सहेलियों के साथ! मेरे साथ नहीं! (विषाद का नाटक करता है)
मल्लिका - हाँ। चम्पा, गौरी, माया, मोहिनी, कपिला आदि सब जा रहे हैं। इसलिए, मेरे साथ तुम्हारा आगमन तर्कसंगत नहीं है। हम सप्ताह के अन्त में लौट आएँगे। तबतक गृह-व्यवस्था और गाय का दुग्धदोहनव्यवस्था सम्भाल लेना।
द्वितीयं दृश्यम्
चन्दनः -- ठीक है। जाओ। और सहेलियों के साथ धर्मयात्रा से आनन्दित हो। मैं भी सब सँभाल लूंगा। तुम सब का मार्ग मंगलमय हो।
चन्दनः -- मल्लिका तो धर्मयात्रा के लिए चलिगई । ठीक है। दुग्धदोहन कर के अपने नाश्ते का प्रबंध करूँगा। (स्त्रीबेश धारण कर, दूग्धपात्र हाथ में लेकर नन्दिनी के समीप जाता है। )
उमा -- मामी! मामी!
चन्दनः -- हे उमा! मैं मामा हूँ। तुम्हारे मामी तो गंगास्नान के लिए काशी गई है। बताओ! तुम्हारा क्या अच्छा कर सकता हूँ?
उमा -- मामा! दादाजी बताए हैं, एक महीने के बाद हमारे घर में महोत्सव होगा। उसमें तीन सौ लीटर दूध आवश्यक होगा। यह व्यवस्था आपको करना है।
चन्दनः -- (प्रसन्नचित्त के साथ ) तीन सौ लीटर दूध। अच्छा है। दूध का व्यवस्था हो जाएगा - यह तुम दादाजी को बतादो।
उमा -- धन्यवाद मामा! अब जा रही हूँ। (वो चली गई )
तृतीय दृश्य
चन्दनः -- (प्रसन्न होकर, उङ्गलियों में गिनकर) अरे! तीन सौ लीटर दूध! इस से तो बहुत धन मिलेगा । (नन्दिनी को देख कर ) हे नन्दिनि! तुम्हारी कृपा से तो मैं धनी बन जाऊँगा। (खुश हो कर वो गाय का बहुत सेवा करता है )
चन्दनः -- (सोचता है ) महीने के अन्त में ही दूध का आवश्यकता है। यदि प्रत्यह दूध दोहन करता हूँ तो दूध सुरक्षित नहीं रहता है। अभी क्या कर सकता हूँ ? ठीक है कि महीने के अन्त में ही पूर्णरूपसे दूध दोहता हूँ।
(इसी क्रम से सात दिन बित जाता है। सप्ताह के अंत में मल्लिका लौट आती है)
मल्लिका -- (प्रवेश कर) स्वामि! मैं लौट आई। प्रसाद सेवन करो। ( चन्दन मोदक खाता है और कहता है)
चन्दनः -- मल्लिका! तुम्हारी यात्रा अच्छी तरह सफल हुआ? काशीविश्वनाथ के कृपा से तुम्हें अच्छी बात सुनाता हूँ।
अभ्यासः
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