बहूनामप्यसाराणां समवायो हि दुर्जयः ।
अर्थात्,
अनेक निर्बल होने पर भी समूह /संगठन को जीतना कठिन है।
Meaning -
It's difficult to win also a group of several weak ones.
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बहूनामप्यसाराणां समवायो हि दुर्जयः ।
अर्थात्,
अनेक निर्बल होने पर भी समूह /संगठन को जीतना कठिन है।
Meaning -
It's difficult to win also a group of several weak ones.
१. लगधः - वेदाङ्गज्योतिषः
अनागतं यः कुरुते स शोभते
सुब्बण्ण का संगीत में जो स्वाभाविकी इच्छा थी, वो एकदिन राजभवन में होनेवाली संगति से और अधिक दृढ हो गई। एक दिन पुराणिकशास्त्री पुत्र के साथ राजभवन में आ कर वहाँ अन्तःपुर की स्त्रीयों के सम्मुख पुराण की कथा आरम्भ करते हुए पहले अपने पुत्र से शुक्लाम्वरधर आदि श्लोकों को गवाया। यह देखकर वहाँ उपस्थित सभी जन प्रसन्न हुए। कुछ समय पश्चात् वहाँ आये हुए राजा पास वैठ कर पुराण सुनते हैं। पिता के समीप बैठा हुआ सुब्बण्ण पुराणप्रवचन आग्रह पूर्वक सुनते हुए ही मध्य में महाराजा को भी आश्चर्य सहित देख रहा था। महाराजा के सुन्दर मुख, मुख पर विशाल तिलक धारण किए हुए, उसमे भी विशाल गाल का शोभा बढ़ाने वाला दाढ़ी और मूँछ आदि सब कुछ उसका विस्मय का कारण था। राजा भी उस बालक को दो तीन बार देख कर यह बालक चतुर है - ऐसा सोचा। और पुराण समाप्त होने पर है शास्त्री! यह बालक क्या आपका पुत्र है? ऐसा पूछा। हाँ, महाप्रभु, ऐसा शास्त्री ने उत्तर दिया। फिर से विस्मयपूर्वक राजा बालक को सम्बोधित करके है वत्स! क्या आप भी पिता के जैसे पुरणप्रवचन करोगे? ऐसे पूछा। तब वह बालक - मैं पुराण प्रवचन नहीं करता हूँ। संगीत गाता हूँ यह कहा। तब राजा वोले - निश्चय । तो फिर तब तक (हम) एक संगीत सुनते हैं ऐसा कहा। तत्पश्चात ही सुब्बण्ण श्रीराघव दशरथात्मज इत्यादि श्लोकों को संगीत में गा कर सुनाया। उसके अन्त में वो पुनः कस्तूरीतिलक इत्यादि श्लोक भी मुझे स्मरण है ऐसा कहा।
महाराजा अत्यधिक सन्तुष्ट हुए। इस प्रकार आनन्दित होकर राजा पारितोषिक के रूप में बालक को पान सहित उत्तरीय वस्त्र देकर, हे बालक! तुम बुद्धिमान हो। उत्तम रूप से संगीत शिख कर अच्छी तरह गाने के लिए आप अभ्यास करो। इसे भी अधिक पारितोषिक हम आपको देंगे - ऐसा बालक को कहकर और पुनः शास्त्री जी को उद्देश्य कर, हे शास्त्री जी! पुत्र चतुर है , उसका शिक्षा अच्छे से कीजीए, प्रायः महाकुशल होंगे ऐसा कहा। इसके बाद शास्त्री और पुत्र अपने घर को लौट गए।
वित्तेन रक्षते धर्मो विद्या योगेन रक्षते।
मृदुना रक्षते भूपः सस्त्रिया रक्षते गृहम्॥
अर्थात्,
धन के द्वारा धर्म की रक्षा होती है, अभ्यास से विद्या की रक्षा होती है। विनय भाव से राजा का रक्षा होता है; उत्तम स्वभावयुक्त स्त्री से गृह का रक्षा होता है॥
Meaning -
Dharma is protected by wealth, education by practice. King is protected by politeness; home by good woman.
१. आरालिकः, आंधसिकः, औदानिकः - A cook
२. आरामिकः - A gardener
३. आरोहकः - A rider, driver
४. आरटः - An actor
५. कुलंभरः, चौरः - A thief
६. कांडीरः - An archer
७. कांदविकः - A baker, a confectioner
८. कुुठारिकः - A wood-cutter
९. कुरटः, चर्मरुः, चर्मारः - A shoemaker
१०. चंडिलः - A barber
११. चाक्रिकः - A potter
१२. प्राजकः - A charioteer, coachman, driver
१३. प्रहरीः, प्रतिहारः, रक्षकः - A watchman, guard
१४. प्राघूर्णिकः - A guest, visitor
१६. शौचेयः - A washer-man
१७. भिषजः - A pharmacist
१८. भृत्यः, अनुयोज्यः - A servant
१९. वैज्ञानिकः - A scientist
20. चिकित्सकः - A doctor/A physician
21. अपसर्पः, अपसर्पकः - A secret agent, a spy
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः। चत्वारि तस्य बर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम्॥(महर्षि मनुः) अर्थ - प्रतिदिन नियमितरूपसे गुरु...